खाटू श्याम जी की दिव्य कथा: प्रेम और भक्ति का अद्भुत सफर
Khatu Shyam Chalisa: हिंदू आध्यात्मिकता की दुनिया में खाटू श्याम जी का स्थान उनकी दयालुता और असीम प्रेम के कारण अनोखा है। उन्हें भगवान श्रीकृष्ण का अवतार माना जाता है, जो अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं और जीवन की कठिनाइयों में उनका मार्गदर्शन करते हैं। उनकी कथा अनगिनत भक्तों के हृदय को छूती है और उनके जीवन में आस्था और विश्वास का दीप जलाती है।
चाहे आप खाटू श्याम जी के समर्पित भक्त हों या आध्यात्मिकता के प्रति जिज्ञासा रखते हों, आइए उनके दिव्य स्वरूप का अन्वेषण करें और उनके आशीर्वाद से प्रेम, सुरक्षा और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति करें।

खाटू श्याम जी का परिचय
खाटू श्याम जी को बर्बरीक का अवतार माना जाता है, जो महाभारत के भीम के पौत्र थे। ऐसा कहा जाता है कि बर्बरीक के पास अद्वितीय शक्ति और भक्ति थी। लेकिन उनकी भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अटूट भक्ति और बलिदान ने उन्हें श्याम बाबा के रूप में प्रतिष्ठित कर दिया। उनके शीश दान की कथा हमें नि:स्वार्थ भक्ति और समर्पण का संदेश देती है।
श्री खाटू श्याम चालीसा (Khatu Shyam Chalisa)
दोहा
श्याम सलोने संवारे, बर्बरीक तनुधार।
इच्छा पूर्ण भक्त की, करो न लाओ बार॥
चालीसा (Khatu Shyam Chalisa)
श्याम-श्याम भजि बारंबारा।
सहज ही हो भवसागर पारा॥
इन सम देव न दूजा कोई।
दिन दयालु न दाता होई॥
भीम सुपुत्र अहिलावाती जाया।
कही भीम का पौत्र कहलाया॥
यह सब कथा कही कल्पांतर।
तनिक न मानो इसमें अंतर॥
बर्बरीक विष्णु अवतारा।
भक्तन हेतु मनुज तन धारा॥
बासुदेव देवकी प्यारे।
जसुमति मैया नंद दुलारे॥
मधुसूदन गोपाल मुरारी।
वृजकिशोर गोवर्धन धारी॥
सियाराम श्री हरि गोबिंदा।
दिनपाल श्री बाल मुकुंदा॥
दामोदर रण छोड़ बिहारी।
नाथ द्वारिकाधीश खरारी॥
राधाबल्लभ रुक्मणि कंता।
गोपी बल्लभ कंस हनंता॥
मनमोहन चित चोर कहाए।
माखन चोरि-चारि कर खाए॥
मुरलीधर यदुपति घनश्यामा।
कृष्ण पतित पावन अभिरामा॥
मायापति लक्ष्मीपति ईशा।
पुरुषोत्तम केशव जगदीशा॥
विश्वपति जय भुवन पसारा।
दीनबंधु भक्तन रखवारा॥
प्रभु का भेद न कोई पाया।
शेष महेश थके मुनिराया॥
नारद शारद ऋषि योगिंदरर।
श्याम-श्याम सब रटत निरंतर॥
कवि कोदी करी कनन गिनंता।
नाम अपार अथाह अनंता॥
हर सृष्टी हर सुग में भाई।
ये अवतार भक्त सुखदाई॥
ह्रदय माहि करि देखु विचारा।
श्याम भजे तो हो निस्तारा॥
कौर पढ़ावत गणिका तारी।
भीलनी की भक्ति बलिहारी॥
सती अहिल्या गौतम नारी।
भई श्रापवश शिला दुलारी॥
श्याम चरण रज चित लाई।
पहुंची पति लोक में जाही॥
अजामिल अरु सदन कसाई।
नाम प्रताप परम गति पाई॥
जाके श्याम नाम अधारा।
सुख लहहि दुःख दूर हो सारा॥
श्याम सलोवन है अति सुंदर।
मोर मुकुट सिर तन पीतांबर॥
गले बैजंती माल सुहाई।
छवि अनूप भक्तन मान भाई॥
श्याम-श्याम सुमिरहु दिन-राती।
श्याम दुपहरि कर परभाती॥
श्याम सारथी जिस रथ के।
रोड़े दूर होए उस पथ के॥
श्याम भक्त न कही पर हारा।
भीर परि तब श्याम पुकारा॥
रसना श्याम नाम रस पी ले।
जी ले श्याम नाम के ही ले॥
संसारी सुख भोग मिलेगा।
अंत श्याम सुख योग मिलेगा॥
श्याम प्रभु हैं तन के काले।
मन के गोरे भोले-भाले॥
श्याम संत भक्तन हितकारी।
रोग-दोष अध नाशे भारी॥
प्रेम सहित जब नाम पुकारा।
भक्त लगत श्याम को प्यारा॥
खाटू में हैं मथुरावासी।
पारब्रह्म पूर्ण अविनाशी॥
सुधा तान भरि मुरली बजाई।
चहु दिशि जहां सुनी पाई॥
वृद्ध-बाल जेते नारि नर।
मुग्ध भये सुनि बंशी स्वर॥
हड़बड़ कर सब पहुंचे जाई।
खाटू में जहां श्याम कन्हाई॥
जिसने श्याम स्वरूप निहारा।
भव भय से पाया छुटकारा॥
खाटू श्याम जी के मंदिर में भक्तगण उनकी भव्य मूर्ति के दर्शन कर, उनकी चालीसा और भजन गाकर, मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं।
खाटू श्याम जी का स्वरूप (Khatu Shyam Chalisa)
खाटू श्याम जी का स्वरूप अत्यंत मोहक है। उनके सिर पर मोर मुकुट, गले में वैजयंती माला, और तन पर पीतांबर धारण किए हुए हैं। उनकी मुरली की धुन भक्तों को भाव-विभोर कर देती है। उनकी दिव्य छवि को देखने मात्र से भक्तों को सभी दुःखों से छुटकारा मिल जाता है।
भक्तों के प्रति प्रेम और कृपा (Khatu Shyam Chalisa)
खाटू श्याम जी को भक्तों की छोटी-छोटी प्रार्थनाएं भी प्रिय हैं। चाहे कोई संकट में हो, चाहे कोई सुख के लिए प्रार्थना कर रहा हो, वे अपने भक्तों की हर पुकार सुनते हैं। उनकी कृपा से जीवन में आध्यात्मिक शांति और भौतिक सुख दोनों की प्राप्ति होती है।
खाटू श्याम जी का संदेश
खाटू श्याम जी हमें प्रेम, दया, और समर्पण का पाठ पढ़ाते हैं। उनकी भक्ति से यह समझ आता है कि सच्चे मन से की गई प्रार्थना कभी व्यर्थ नहीं जाती।
खाटू श्याम जी की महिमा का गुणगान करना और उनके चरणों में अपने हृदय की प्रार्थना रखना हमें आत्मिक बल और शांति प्रदान करता है। आइए, हम सभी मिलकर उनकी भक्ति में लीन हों और उनके आशीर्वाद से जीवन की हर बाधा को पार करें।
जय खाटू श्याम जी!